हज़रत इमाम हुसैन की याद में निकाले जेवर में ताजिए
जेवर। सोमवार को मोहर्रम की ग्यारह तारीख़ पर अंजुमन-ए-हैदरी के बैनर तले सैयद डा0 मसर्रत अली रिज़वी एवं सैयद सदाकत अली जैदी के नेतृत्व में सोगवारों ने अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद स0अ0 के नवासे हज़रत इमाम हुसैन रजि0अ0 सहित 72 साथियों की शहादत की याद में सोगवारों ब्लेड़ मारते एवं जंजीर जनी करते हुए खूनी मातम किया तथा हज़रत इमाम हुसैन की शहादत में मर्सिए पढ़कर नोहेखानी के जरिए किस्सा-ए-शहादत बयान किया। इस दौरान बिजली विभाग के कर्मचारियों सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।
अंजुमन-ए-हैदरी के संरक्षक सरपरस्त डा0 सैयद मसर्रत अली रिज़वी ने जानकारी देते हुए बताया कि जेवर में काफी लम्बे समय से मोहर्रम की ग्यारह तारीख़ को योमे आशूरा मनाया जाता है। इस बार भी पिछले वर्षों की तरह मोहर्रम की ग्यारह तारीख़ को ही योमे आशूरा मनाया गया। वैसे तो मोहर्रम का चॉंद नज़र आते ही सादात घरों में इमाम-ए-हुसैन और उनके साथियों की याद में मजलिसें होनी शुरू हो जाती हैं जो ग्यारह तारीख़ तक चलती हैं इसी तरह आज मोहर्रम की ग्यारह तारीख़ सोमवार को भी सुबह से ही मोहल्ला कम्बुहान स्थित चौक सैयद शादिक अली स्थित सादात हाऊस पर मजलिसों का दौर शुरू हुआ। इस दौरान करबला के शहीद हज़रत इमाम हुसैन सहित योमे आशूरा की दस तारीख़ को करबला में शहीद हुए 72 शहीदों की याद कर मातम कर बयान किये गये शहादत के किस्सों को सुनकर सोगवारों के रोंगटे खड़े हो गए। उन्होंने आगे बताया कि रसूल-ए-खुदा जनबा हज़रत मुहम्मद स0अ0 के लाड़ले नवासे हज़रत इमाम हुसैन रजि0अ0 दीन-ए-हक की खातिर अल्लाह की राह में अपने तमाम खानदान को कुरबान कर दीन इस्लाम को जिन्दगी बख्श गए मगर उस दौर जालिम हुकूमत यजीदयत के सामने नहीं झुके जालिम यजीद ने उनको और उनके खानदान को तो शहीद करा दिया मगर उनकी कुरबानी के बाद लाखों करोड़ों हुसैन जिन्दा हो गए। इसके बाद ताजिए अखाड़े के साथ-साथ मातमी जुलूस पुरानी सब्जी मण्डी मेंन बाजार आजाद चौक पुराने डाकखाने वाली गली मौहल्ला टंकी वाला होते सैयद जैनुल आब्दीन हज़रत बाब शकर बरस रहमतुल्लाही अलैय की दरगाह शरीफ स्थित करबला जाकर सम्पन्न हो गया। इस मौके पर अंजुम-ए-हैदरी के अध्यक्ष सैयद सदाकत नजाकत अली जैदी कौषाध्यक्ष सैयद सुजाअत अली रिज़वी उपाध्यक्ष शेख़ इरशाद उल्लाह महासचिव मोहम्मद हबीब वार्ड सभासद मोहम्मद सुलेमान यासीन कुरैशी शकील कुरैशी संरक्षक सैयद मसर्रत अली रिज़वी सैयद नुसरत अली रिज़वी सैयद सखवत अली रिजवी सैयद हिदात अली रिजवी राहत अली रिज़वी आदि सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।