खुदा की इबादत में झुके हजारों सिर
अमनो सलामती व मुल्क की तरक्की के लिए उठे हाथ֤हर्षोल्लास व सदभावना से मनाया ईद-उल-अजहा का पर्व
जेवर। नगर एवं सम्पूर्ण क्षेत्र में त्याग एवं बलिदान का त्यौहार ईद-उल-अजहा सदभावना और हर्षोल्लास के साथ शान्तिपूर्ण तरीके से मनाया गया। इस दौरान बड़ी ईदगाह हनफिया, बाबा शकर बरस दरगाह परिसर व मदरसा हिफ्जुल इस्लाम टंकी वाला और ईदगाह एहले हदीस सहित कस्बा जहॉंगीरपुर स्थित ईदगाह व जामा मस्जिद व मर्कज मस्जिद में ईद-उल अजहा की नमाज़ अदा कर मुल्क की तरक्की तथा देश के अमनो-अमान व खुशहाली और भाईचारगी के लिए दुआ की गई।
ईद-उल-अजहा की नमाज़ अदा कर खुतबा पढ़ा जाने व दुआ करने के बाद लोगों ने पुराने गिले सिकवे भुलाकर गर्मजोशी से एक दूसरे से गले मिलकर ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद दी। इसी तरह देर शाम तक एक दूसरे के घर जाकर मुबारकबाद देने का सिलसिला जारी रहा शनिवार की सुबह मदरसा हिफ्जुल इस्लाम जेवर में 6ः45 पौने सात बजे मुफ्ती नदीम ने ईदगाह एहले हदीस छोटी ईदगाह पर 7ः00 सात बजे मौलाना मोहसिन खलीली ने बड़ी ईदगाह पर 7ः15 सवा सात बजे मौलाना मुफ्ती इमाम-ए-खतीब जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मुहम्मद नासिर कासमी ने बाबा शकर बरस औलिया की दरगाह पर 7ः30 साढ़े सात बजे मौलाना मौहम्मद इसराईल ने तो वहीं कस्बा जहॉंगीरपुर में ईदगाह पर 7ः30 साढ़े सात बजे मौलाना कारी मुफ्ती मौहम्मद आकिल ने जहांगीरपुर जामा मस्जिद में 8ः00 आठ बजे एवं मर्कज मस्जिद में 8ः15 सवा आठ बजे कारी मौहम्मद आरिफ ने ईद-उल-अजहा की नमाज़ अदा कराई। बड़ी ईदगाह जेवर पर ईद-उल-अजहा की नमाज़ अदा करने आए लोगों को खिताब करते हुए जामा मस्जिद के इमाम-ए- खतीब मुफ्ती मुहम्मद नासिर साहब ने कहा कि ईद-उल-अजहा के तीनों दिनों मुसलमान भाईयों को खुशदिली के साथ कुरबानी करनी चाहिए अल्लाह के लिए कुरबानी देने का एक अलग ही एहसास होता है अल्लाह रब्बुल आलमीन ने अपने पैगम्बर हजरत इब्राहीम अलैयहिस्सलाम से उनके बेटे हज़रत इस्हाक अलैयहिस्सलाम की कुरबानी मांगी थी। वह अपने बेटे हज़रत इस्हाक अलैयहिस्सलाम को खुशी-खुशी अल्लाह की राह में कुरबान करने के लिए निहला धुलाकर तैयार कर ले गए। उन्होंने कहा मुसलमानों जरा इस बात पर गौर तो करो कि उस घडी हज़रत इब्राहीम अलैयहिस्सलाम द्वारा अपने बेटे की कुरबानी देने का मंजर कैसा होगा। आजमाईश तो देखिए कि अल्लाह ने बुढ़ापे की उम्र में उन्हें एक प्यारा से बेटा दिया और उसको भी अपनी राह में कुरबान करने का हुकम दे दिया वह अपने इस इम्तेहान में अपने बेटे की कुरबानी देने में पीछे नहीं हटे जिस पर अल्लाह ने उनके बेटे को बचाते हुए उनके सामने एक दुम्बा लाकर खड़ा कर दिया और हज़रत इब्राहीम अलैयहिस्सलाम की इस अदा को उम्मते मुसलमां पर वाजिब करार देते हुए ता-कयामत तक महफूज कर दिया। उन्होंने पुनः लोगों से अपील की कि मुसलमानों को खुशी दिल के साथ कुरबानी के अमल को पूरा करना चाहिए अल्लाह के पास न तो जानवर का गोस्त ही पहुॅंचता है और न खूंन वल्कि वह तो इंसानों की नियत एवं दिल के तकवे की परख करता है।