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नया साल नहीं खुशियां मनाने के लिए गुजरे दिनों का मुहासबा करें: मुफ्ती नासिर कासमी

जेवर। नया साल खुशियॉं मनाने के लिए नहीं है वल्कि इस मौके पर हर इंसान को अपनी जिन्दगी के बीते हुए कल यानी गुजरे हुए दिनों का मुहासबा करना चाहिए और इस बात पर गौर-ओ-फिकर कर सोचना चाहिए कि गुजरे बीते साल में हमने कितने नेक काम किए और कितने बुरे और साथ ही आने वाले नये साल में अपने द्वारा किए गए गलत कामों पर पश्चाताप कर गलत काम से बचने की कोशिस कर लें। इस मौके पर सोच विचार करें कि गुजरे साल में कितने हमारे अपने दोस्त रिस्तेदार हमसे बिछड़े और कितने इस दुनिया-ए-फानी को छोड़ कर चले गए।
शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा कराने से पहले मिम्बर से दिए अपने खिताब में बोलते हुए इमाम-ए-खतीब जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मौहम्मद नासिर कासमी साहब ने कहा कि नया साल खुशियां मनाने के लिए नहीं है वल्कि इस मौके पर खुशियॉं मनाने की बजाय हर इंसान को अपने बीते हुए कल यानी गुजरे हुए दिनों की जिन्दगी का मुहासबा करना लेना चाहिए। और सोचना चाहिए कि हर साल हमारी जिन्दगी का एक साल और कम हो गया कोई भी इंसान इस दुनियां में हमेशा नहीं रह सकता इस लिए गौर करें कि हमने इस दुनियां से जाने के बाद की जिन्दगी के एश-ओ-आराम के लिए क्या तैयारी की है अगर हमने अपनी जिन्दगी में अच्छे और नेक काम किए हैं तो हमें जन्नतुल फिरदौश यानी (स्वर्ग) में जगह मिलेगी अगर अच्छे कार्य नहीं किए हैं तो हमें अपने बुरे कार्यों की वजह से दोजख (नर्क) में जगह मिलेगी। इस लिए नये साल के जश्न में इतने न खोऐं कि इतना भी पता न रहें कि इंसान इस दुनियां में किस लिए आया था और अब क्या कर रहा है उस मालिक ने इंसान को इस मक्सद से भेजा था कि वह दुनियां में जाकर अच्छे व नेक कार्य करे और उसकी इबादत करेगा। उन्होंने कहा कि नये साल के आने का मतलब यह है कि उस मालिक ने उन्हें आखिरत की जिन्दगी की तैयारी करने का एक मौका और दिया है इस मौके पर अक्सर ज्यादतर लोग गुजरे वक्त पर नज़र डालने की बजाय डीजे बाजे बजाकर नाच गाते हैं तथा केक काटकर खुशियां मनाने लगते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करना इस्लाम में तो कहीं भी नहीं है लड़के लड़कियां डांस करें शराब पिएं और न जाने कैसी कैसी खुराफत करें इस तरह अधिकांश नौजवान एक गलत रश्म की जद में पड़ रहे हैं जो इस्लाम ही नहीं बल्कि अक्ल के भी खिलाफ है नये साल के साथ हमारी जिन्दगी का एक साल कम हो गया और हम मौत के एक साल और करीब पहुॅंच गए हैं।

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