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उत्तर प्रदेश बनाम हरियाणा सीमा विवाद प्रकरण

शासन-प्रशासन ने सीमा विवाद का शीघ्र निस्तारण नहीं कराया तो हो सकता है खूनी संघर्ष: कल्लू धारागढी

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की खैर विधान सभा क्षेत्र के सात गांव के पीड़ित किसानों ने गांव ऊंटासानी में शनिवार को पंचायत कर की उपचुनाव का बहिष्कार करने की सामूहिक घोषणा कहा सीमा विवाद समस्या का हल नहीं तो… वोट नहीं
चेतावनी: सीमा विवाद पर अगर किसानों में खूनी संघर्ष हुआ तो होगा शासन-प्रशासन जिम्मेदार, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से पीड़ित किसानो मैं फूटा जबरदस्त आक्रोश, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशों का अधिकारी नहीं कर रहे हैं पालन 5 सितंबर 2024 को उप तहसील हसनपुर में दीक्षित अवार्ड के संबंध में उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा प्रांत के अधिकारियों की बैठक के बाद भी नहीं निकला कोई निष्कर्ष दोनों प्रदेशों के किसानों में टकराव कराना चाहते हैं प्रशासनिक अधिकारी

टप्पल। (जेवर न्यूज़) तहसील खैर अंतर्गत आने वाले थाना टप्पल क्षेत्र के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के सीमा विवाद से प्रभावित गांव धारागढी, घरबरा, समसपुर, लालपुर रैयतपुर, मालव, गिरधरपुर, ऊंटासानी खादर तथा हरियाणा प्रदेश के जनपद पलवल तहसील पलवल, होडल के ग्राम सुल्तानपुर ,कुशव, अच्छेजा, काशीपुर, अतवा, मुंतजाबाद, फास्ट को नगर, बाली मोहम्मदपुर, माहोली, हसनपुर आदि के किसानों में स्वामित्व की लड़ाई विगत सन 1940 से प्रारंभ हुई जो आज तक जारी है, लेकिन उत्तर प्रदेश के शासन-प्रशासन ने पीड़ित किसानों को समय-समय पर आश्वासन के अलावा समस्या का स्थाई निदान नहीं कराया है। जिसकारण अनेक बार उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा प्रदेश के किसानों में कई बार खूनी टकराव भी हुए हैं। मगर दोनों प्रदेशों के पीड़ित किसानों के खूनी टकराव को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा सन 1974-75 में केंद्रीय गृहमंत्री माननीय उमाशंकर दीक्षित की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया और दीक्षित समिति अनुशंसा पर भारत सरकार द्वारा हरियाणा व उत्तर प्रदेश सीमा परिवर्तन अधिनियम 1979 भारत सरकार की ओर से दिनांक 12 अगस्त 1979 को पारित किया गया जिसे दीक्षित अवार्ड के नाम से जाना जाता है। दीक्षित अवार्ड के अंतर्गत उत्तर प्रदेश व हरियाणा प्रांत के मध्य नवंबर-दिसंबर 1974 व जनवरी 1975 में बह रही यमुना नदी की डीप स्टीम लाइन को उत्तर प्रदेश-हरियाणा की सीमा माना गया और सर्वे आफ इंयिा द्वारा सीमांकन का कार्य किया गया।
ब्ताया जाता है कि इस दीक्षित अवार्ड के अंतर्गत आदेश में स्पष्ट किया गया कि उत्तर प्रदेश राज्य की जो भूमि हरियाणा प्रांत को हस्तांतरित हुई है। उस भूमि पर उत्तर प्रदेश के किसानों का कब्जा एवं स्वामित्व पूर्व की भांति ही रहेगा लेकिन उक्त भूमियों पर हरियाणा प्रांत में प्रचलित भू-संबंधी नियम लागू होंगे यानी प्रशासनिक नियंत्रण हरियाणा का होगा और इसी तरह हरियाणा राज्य की जो भूमि उत्तर प्रदेश प्रांत को हस्तांतरित हुई है उस भूमि पर हरियाणा के ही किसानों का कब्जा एवं स्वामित्व पूर्व की भाति ही रहेगा और उक्त भूमियों पर उत्तर प्रदेश प्रांत में प्रचलित भू-संबंधी नियम लागू होंगे यानी प्रशासनिक अधिकार उत्तर प्रदेश का होगा। दीक्षित अवार्ड के अंतर्गत 1980 के दशक में राजस्व अभिलेखों का आदान-प्रदान भी किया गया है। इस सीमा विवाद के संबंध में 5 सितंबर 2024 की बैठक अपर जिलाधिकारी प्रशासन अलीगढ़ पंकज कुमार एवं उप जिलाधिकारी होडल जनपद पलवल रनवीर सिंह आदि की मध्यस्थता में हसनपुर में आयोजित की गई, जिसमें दोनों प्रांत के 17 अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में तय हुआ की समस्त निर्णय माननीय उच्च न्यायालय हरियाणा एवं पंजाब चंडीगढ़ में योजित विभिन्न रिट याचिकाओं में लीडिंग रिट याचिका-ब्ॅच्-19103-2016 में पारित अंतरिम/अंतिम आदेशों के अधीन होंगे लेकिन इस बैठक के बाद हरियाणा प्रांत के किसानों द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों की फसल को काटने के दौरान बड़े पैमाने पर खूनी संघर्ष होने की संभावना पर गांव उटासानी में यशवीर सिंह घरबरा की अध्यक्षता में पीड़ित किसानों की पंचायत हुई जिसका संचालन कल्लू धारागढी ने किया। इस पंचायत में किसानों द्वारा सामूहिक निर्णय लिया गया कि सीमा विवाद का हल नहीं होगा तो विधानसभा के उपचुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। पंचायत में पीड़ित किसानों ने यह भी चेतावनी दी की अगर दोनों प्रदेशों के किसानों में खूनी संघर्ष हुआ तो शासन-प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा। पंचायत में माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन अधिकारियों द्वारा नहीं करने पर भी किसानों ने आक्रोश व्यक्त किया। इस पंचायत में यशवीर सिंह, प्रकाश सिंह, मांगेराम, कल्लू, समसुद्दीन, जगदीश, नारायण सिंह, शारदा, संतोष पंडित, शैलेंद्र फौजी, आनंद, कुल्ली फौजी, कन्हैया, मोहनलाल पंडित आदि सहित सैकड़ो किसान मौजूद रहे।

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